तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला कृषि उद्यमिता : अवसर और चुनौतियां का समापन
लंढौरा l चमन लाल महाविद्यालय में तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला विषय कृषि उद्यमिता : अवसर और चुनौतियां के समापन दिवस का कार्यक्रम महाविद्यालय में आयोजित किया गया कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष रामकुमार शर्मा सचिव अरुण हरित एवं कोषाध्यक्ष अतुल हरित ने दीप प्रज्वलित कर किया l अध्यक्ष महोदय ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए बताया कि जिन छात्र छात्राओं के पास अपनी खेती की जमीन है वह उसमें भी आत्मनिर्भर बन सकते हैं और कोई व्यवसाय शुरू कर राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने में अपनी भागीदारी निभा सकते हैं l कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मेयर प्रतिनिधि एवं वरिष्ठ समाजसेवी ललित मोहन अग्रवाल आमंत्रित किए गए जिन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा चलाई गई कृषि संबंधी योजनाओं के विषयों से भी अवगत कराया l कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में आई.आई.टी रुड़की से डॉ.देवेश भीमसरिया ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए बताया कि जो विद्यार्थी कृषि में कार्य करना चाहते हैं उनके लिए सुनहरा अवसर है कृषि एक परिश्रम का कार्य है लेकिन उन्होंने एक अपने मित्र का उदाहरण देते हुए इस बात की पुष्टि की किस प्रकार करोड़ों का पैकेज छोड़कर कृषि को प्राथमिकता दी और अपना व्यवसाय प्रारंभ से शुरू किया l उन्होंने जैविक खेती की तरफ सभी का ध्यान आकर्षित किया कि आज के समय में भयंकर बीमारियों से निजात पाने के लिए जैविक खेती अत्यंत आवश्यक है l उन्होंने स्वीडन, डेनमार्क, नॉर्वे आदि का जिक्र किया l वहां के लोग पशुपालन डेरी फार्म का कारोबार से वह अपनी जीविका चलाते हैं और पूरे विश्व में सबसे ज्यादा दुग्ध का उत्पादन करते हैं दूसरे मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. अनूप बडोनी ने मशरूम कल्टीवेशन के संपूर्ण जानकारी छात्र-छात्राओं के साथ शेयर की और मशरूम से होने वाले फायदे से अवगत कराया जिसमें बटन मशरूम धींगरी मशरूम आदि मुख्य थे कि किस प्रकार बाजार में मशरूम 10 लाख रुपए किलो की कीमत का भी उगाया जाता है l ऐसी अमूल्य जानकारी छात्र-छात्राओं के साथ साझा की और अंत में उन्होंने प्रयोगात्मक रूप में मशरूम उत्पादन के लिए फील्ड में छात्र-छात्राओं को ले जाकर प्रशिक्षण भी कराया l इसी श्रृंखला में महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सुशील उपाध्याय ने भी किसी संबंधी जानकारी साझा की और कहीं उदाहरण से बताया कि किस प्रकार अच्छा का व्यापार फल फूल रहा है और भी अन्य दूध आदि के उदाहरण प्रस्तुत किया और गाने का भी जिक्र किया कि किस प्रकार बड़े-बड़े मॉल में गूलर के पैकेट बनाकर बेचे जा रहे हैं l कार्यक्रम समन्वयक डॉ.ऋचा चौहान एवं डॉ.तरुण गुप्ता ने विगत दो दिनों की कार्यशाला की सारांश रूप में जानकारी देते हुए कहा कि जिसमें एक दिन आई.आई.टी रुड़की की प्रयोगशाला में प्रशिक्षण कराया गया जिसमें उन्होंने अनाज आदि उत्पादन के विषयों में एंड प्लांट टिश्यू कल्चर के बारे में जानकारी प्राप्त की तथा मधुमक्खी पालन एवं शहद उत्पादन के विषयों की संपूर्ण जानकारी प्राप्त की कार्यक्रम के अंत में समस्त छात्र-छात्राओं को कार्यशाला के प्रमाण पत्र वितरित किए गए तथा सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह एवं गंगाजली भी भेंट की गई l डॉ. दीपा अग्रवाल ने सभी अतिथियों एव कार्यशाला को सफल बनाने में सभी सहयोगियों का धन्यवाद ज्ञापित किया l