देश के जाने-माने कवियों द्वारा ऑपरेशन सिंदूर को समर्पित रचनाओं का पाठ किया गया। संस्कार भारती के साहित्य विभाग द्वारा आयोजित एक काव्य गोष्ठी में आज पनियाला रोड़ पर एक व्याख्यान एवं रचना पाठ गोष्ठी का आयोजन किया गया। साहित्य विभाग के प्रांत संयोजक डॉ राजकुमार ‘राज’ उपाध्याय ने बताया कि 6–7 मई की रात पाकिस्तान और पीओके में सैन्य कार्यवाही का नाम ऑपरेशन सिंदूर दिया गया है। इसका उद्देश्य आतंकवादी ढांचे को समाप्त करना था। 22 अप्रैल को कश्मीर में पहलगाम नरसंहार का बदला लेने के लिए भारत ने कार्यवाही की। ऑपरेशन सिंदूर अभी जारी है। भारत ने पूरे विश्व को एक संदेश दिया कि भारत अपनी अखंडता, संप्रभुता और नागरिक सुरक्षा को लेकर सैन्य कार्यवाही करने के लिए स्वतंत्र है। संस्कार भारती राष्ट्रीय चिंतन की धारा में साहित्य के विविध आयामों द्वारा जन जागरण का काम कर रही हैं।
गोष्ठी के आरंभ भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। मुख्य वक्ता के रूप में विवेक कंबोज ने कहा कि हमें अपनी सेना पर गर्व है। भारत की सेना, वायु सेना और जल सेना किसी भी चुनौती से लड़ने के लिए हमेशा तत्पर रहती है। ऑपरेशन सिंदूर में पूरी दुनिया ने भारत की इस शौर्य गाथा को अपनी आंखों से देखा।
ओज के कवि किसलय क्रांतिकारी ने अपनी कविता पढ़ते हुए कहा—
“सुनले बेटा पाकिस्तान, तेरा बाप है हिंदुस्तान……..”
व्यंग के हस्ताक्षर अजय त्यागी ‘अमन’ ने कहा–
” भारत मां के लिए जिए हैं भारत मां के लिए मारे है
तेरे हित मां सबसे आगे जय जयकार करेंगे…….”
प्रांत के कोषाध्यक्ष मनीष श्रीवास्तव ने अपनी कविता पढ़ी –
“मेरी धरती सबसे प्यारी न्यारी–न्यारी और उपकारी
शस्य शामला भूमि मेरी हर प्राणी की है हितकारी”
वरिष्ठ गजलकार पंकज गर्ग ने सस्वर अपनी रचना का पाठ किया–
“जो देश के लिए जिया अमर वो हो गया, मर कर भी लाल देश का माटी में सो गया…”
साहित्यकार सौ सिंह ने कहा– “भारत की सेना का कोई सानी नहीं हैं, भारत के वीरों सी जवानी नहीं है,
इनकी दहाड़ से दहलते है दुश्मन, इनके शौर्य सी और कहानी नहीं है”
दिनेश कुमार वर्मा ने कहा–
जब भी मेरे देश पर कोई हमला होगा मरने वालों में मेरा सिर पहला होगा।
थिएटर गुरु नरेंद्र आहूजा और कवयित्री अनुपमा गुप्ता ने भी अपनी कविता का पाठ किया।
संस्कार भारती की महानगर अध्यक्ष डॉ भावना शर्मा, श्याम त्यागी , विमलेश, ममता, नीलम मधोक मंत्री विनय सैनी और जिला महामंत्री समय सिंह सैनी ने सभी कवियों का स्वागत किया। सिंदूरी स्वर के लिए कविताओं की यह अंजलि उन वीर सपूतों को समर्पित की गई जिन्होंने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।