उम्र 24 पर ज़ज्बा 54 का लेखिका के साथ बनी जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता और प्रशासनिक अधिकारी
शोषित पीड़ित महिलाओं को कानूनी शिक्षा से बना रही ताकतवर
हरिद्वार। जीवन में जो चाहे वह हो जाए, लेकिन जज्बा और मेहनत का साथ कभी मत छोड़ना लोग डराएंगे साथ छोड़ेंगे आपके बारे में बातें भी बनाएंगे लेकिन तुम वही करना जो तुम करना चाहो, यह कहना है नैनीताल स्थित मानव अधिकार की महिला कानून विधि सचिव काजल चौधरी का जो की एक आधुनिक दार्शनिक भी है काजल की उम्र 24 साल है लेकिन जज्बा 54 का है। साल 20 मार्च 1998 को काजल चौधरी का जन्म नैनीताल स्थित एक मध्यमवर्गीय शिक्षित परिवार में हुआ था, बता दे की काजल के पिता एक दार्शनिक है और मां एक सामाजिक कार्यकर्ता जिन्होंने काजल को आगे पढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित किया, बता दे की काजल के माता-पिता ने हमेशा उनके साथ एक मित्र वाला व्यवहार रखा जिस कारण उन्हें हमेशा ही एक अच्छी प्रेरणा मिलती रही अपने माता-पिता से, जहां आज के समय में मॉडर्न पेरेंट्स वे मुश्किल से मिलते हैं, काजल कहती है मुझे ऐसे पैरेंट्स मिले मैं उसके लिए ईश्वर को तहे दिल से शुक्रिया अदा करती हूं जिन्होंने अपनी बेटी को इतना समझा और आज मुझे इस काबिल बनाया।
शायरियां और गजलें लिखने का था शौक शौक ने बना दिया लेखिका और कवयित्री, पहचानने लगे लोग।
काजल चौधरी एक बहुचर्चित चेहरा है, जो नाम और फेम की मोहताज नहीं, बता दे की काजल चौधरी को दो नेशनल अवार्ड मिल चुके हैं और एक और नेशनल अवार्ड मिलने जा रहा है ये ZEISS अंतर्राष्ट्रीय महिला पुरस्कार इन्हें 16 अक्टूबर को म्यूनिख जर्मनी की कार्यकारी बोर्ड द्वारा दिया जाएगा। काजल अब तक आधे से ज्यादा भारत घूम चुकी हैं, उन्होंने बताया है कि वह हमेशा से ही लिखने के प्रति रुचि रखती थी वह बहुत पहले से ही सोशल मीडिया पर एक्टिव रही है लेकिन लॉकडाउन में उन्होंने बहुत सी शायरियां, गजले और कविताएं लिखि जो लोगों को बहुत पसंद आई, जिसके बाद उनकी बहुत सी कविताएं, गजलें ओर लेखन कई न्यूज़ पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित भी हुए इसके बाद से लोग उन्हें पहचानने लगे।