रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 24 अक्टूबर को अरुणाचल प्रदेश में नियंत्रण रेखा के समीप अग्रिम चौकियों का दौरा किया। यहां उन्होंने सशस्त्र बलों की परिचालन संबंधी तैयारियों का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अग्रिम चौकियों पर तैनात सैनिकों से बातचीत की और उनके साथ दशहरा मनाया।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यहां तवांग में सैनिकों के साथ शस्त्र पूजा की। उन्‍होंने इस बात पर जोर दिया कि दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। उन्होंने अपने संबोधन में सशस्त्र बलों के वीर जवानों की धार्मिकता और धर्म को विजयादशमी के त्योहार के लोकाचार का सजीव प्रमाण बताया।

राजनाथ सिंह ने कहा कि मौजूदा वैश्विक परिदृश्य के मद्देनजर देश के सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्‍होंने इस बात को रेखांकित किया कि रक्षा उपकरणों के स्वदेशी उत्पादन के माध्यम से सरकार द्वारा देश की सैन्य शक्ति को मजबूत बनाने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।

अपने हाल के इटली दौरे का हवाला देते हुए सिंह ने कहा कि उन्होंने मोंटोन स्मारक (पेरुगिया प्रांत) का दौरा किया, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध में मोंटोन को मुक्त कराने के लिए इतालवी अभियान में लड़ने वाले नाइक यशवंत घाडगे और अन्य भारतीय सैनिकों के योगदान के सम्मान में बनाया गया है।

उन्होंने कहा कि उस स्मारक पर केवल भारतीय ही नहीं, बल्कि इतालवी लोग भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि भारतीय सैनिकों की बहादुरी का वैश्विक स्‍तर पर सम्‍मान है।

उन्‍होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ की दिशा में बड़ी प्रगति हुई है। पहले हम अपनी सेना को उन्नत बनाने के लिए आयात पर निर्भर रहा करते थे, लेकिन आज, कई प्रमुख हथियारों और प्लेटफार्मों का निर्माण देश के भीतर ही किया जा रहा है। विदेशी कंपनियों को अपनी तकनीक साझा करने और भारत में घरेलू उद्योग के साथ उपकरण का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। 2014 में, रक्षा निर्यात का मूल्य लगभग 1,000 करोड़ रुपये था, लेकिन आज हम हजारों करोड़ रुपये के रक्षा उपकरण निर्यात कर रहे हैं।”

रक्षा मंत्री ने तवांग युद्ध स्मारक का भी दौरा कर 1962 के युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर जवानों को पुष्पांजलि और श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके साथ थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी) पूर्वी कमान लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता, जीओसी, 4 कोर लेफ्टिनेंट जनरल मनीष एरी और भारतीय सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी थे।

राजनाथ सिंह ने असम के तेजपुर में 4 कोर मुख्यालय का भी दौरा किया। अपनी यात्रा के दौरान राजनाथ सिंह ने देश के सुदूर पूर्वी हिस्सों में तैनात फॉर्मेशन की परिचालन संबंधी तैयारियों का जायजा लिया। रक्षा मंत्री को एलएसी पर बुनियादी ढांचे के विकास और अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों की परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों और प्रौद्योगिकी के उपयोग के बारे में जानकारी दी गई।

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